मध्य प्रदेश: न्यायिक कर्मचारियों के वेतनमान मामले में चार सदस्यीय कमेटी गठित, हाईकोर्ट ने दिया 3 महीने का समय
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के कर्मचारियों को शेट्टी वेतन आयोग की अनुशंसा के आधार पर न्यायिक वेतनमान नहीं दिए जाने के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल हुई है। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चार सदस्यों की समिति बनाई है। यह समिति सुनिश्चित करेगी कि हाईकोर्ट का पहले पारित आदेश लागू हो सके। बेंच ने कमेटी को तीन महीने का समय दिया है।
चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस अंजुली पालो की बेंच ने चंद्रिका प्रसाद कुशवाहा एवं अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई की। इसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट ने 28 अप्रैल 2017 को उनकी रिट याचिका स्वीकार करते हुए शेट्टी वेतन आयोग की अनुशंसाओं का लाभ देने के निर्देश दिए थे। इस आदेश के बाद भी हाईकोर्ट के कर्मचारियों को यह लाभ नहीं मिला। तब 2018 में अवमानना याचिका दाखिल हुई थी। हाईकोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने 28 अप्रैल 2017 के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। वहां उसकी अपील खारिज हो गई थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता नमन नागरथ ने पैरवी की।
राज्य सरकार को है ऐतराज
हाईकोर्ट के सामने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस ने रिपोर्ट पेश की थी। इसमें कहा गया था कि सरकार शेट्टी वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वेतन नहीं दे सकती है। कैबिनेट में प्रस्ताव गया था। वहां प्रस्ताव खारिज हो गया कि अगर न्यायिक कर्मचारियों को यह वेतन दिया गया तो अन्य विभागों के कर्मचारियों के साथ भेदभाव होगा। वे भी न्यायिक कर्मचारियों की तरह वेतन मांगेंगे। इन दिक्कतों को दूर करने के लिए सोमवार को हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल, अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा वित्त व विधि विभाग के प्रमुख सचिवों की कमेटी बनाई है। याचिका पर अगली सुनवाई 1 मई को होगी।
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