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अवंतिकानाथ राजाधिराज भगवान श्री महाकाल राजसीठाट-बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकले

अवंतिकानाथ राजाधिराज भगवान श्री महाकाल राजसी ठाट-बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकले
भगवान महाकाल ने भक्तों को श्री मनमहेश के रूप में दिये दर्शन
उज्जैन  :- अवंतिकानाथ राजाधिराज भगवान श्री महाकाल श्रावण माह के प्रथम सोमवार को राजसी ठाठ-बाट से अपनी प्रजा को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। भक्तवत्सल श्री महाकालेश्वर भगवान ने श्री मनमहेश के रूप में दर्शन दिये।
 सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान के श्री मनमहेश स्वरुप का पूजन-अर्चन श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर श्री आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री सत्येन्द्र कुमार, अपर कलेक्टर श्री अवि कुमार ने किया। पूजन प. घनश्याम शर्मा एवं आशीष पुजारी द्वारा सम्पंन्न करवाया गया। पूजन पश्चात भगवान श्री मनमहेश की पालकी को कलेक्टर एवं अध्यक्ष श्री सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री सत्येन्द्र कुमार, मंदिर के पुजारी, पुरोहित आदि ने कन्धा देकर नगर भ्रमण के लिये रवाना किया गया। मंदिर के मुख्य द्वार पर पुलिस बल के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर (सलामी) के पश्चात सवारी ने नगर भ्रमण की ओर प्रस्थान किया।
मंदिर के मुख्य द्वार पर पुलिस बल के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर (सलामी) के पश्चात सवारी बडा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए हरसिद्धि मंदिर के समीप से नृसिंह घाट रोड पर सिद्धआश्रम के सामने से क्षिप्रातट रामघाट पहुंची। जहॉ पं. अशीष पुजारी द्वारा श्री मनमहेश का पूजन किया गया, पूजन में श्री माखन सिंह चौहान अध्यक्ष प्रदेश मठ मंदिर समिति आदि उपस्थित थे। क्षिप्रा तट पर मॉ क्षिप्रा के जल से अभिषेक-पूजन के पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धी पाल से हरसिद्धी मंदिर के सामने से होकर बडा गणेश मंदिर के सामने से श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आवेगी। गतवर्षानुसार इस वर्ष भी श्री महाकालेश्वर भगवान सवारी में नगर भ्रमण के दौरान अपने भक्तों को दर्शन देने के साथ-साथ मॉ हरसिद्धी से भी भेट की। जहॉ मंदिर के पुजारियों द्वारा बाबा महाकाल एवं मॉ हरसिद्धी की आरती की गयी। संपूर्ण सवारी मार्ग रंगोली, विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी छत्रियों, ध्वजों, सतरंगी आतिशबाजी आदि के साथ सुशोभित किया गया। 
सवारी के क्रम में उद्घोषक वाहन, तोपची, भगवान श्री महाकाल का ध्वज, घुड़सवार, विशेष सशस्त्र बल, पुलिस बैण्ड, नगर सेना, महाकाल के पुजारी-पुरोहित, ढोलवादक, झांझवादक, चोपदार, चांदी की झाड़ूवाहक, अन्य आवश्यक व्यवस्था में लगने वाले अधिकारी-कर्मचारी सीमित संख्या में थें


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