उज्जैन : तेजी से गिर रहा भूजल स्तर शहर में पानी जमीन से 13.85 मी. नीचे
उज्जैन। शहर में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। जमीनी पानी 13.85 मीटर नीचे चला गया है। स्थिति चिंताजनक है। कारण, पिछले वर्ष बारिश कम होना और भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन एवं भूजल पुनर्भरण न होना है। भूजल सर्वेक्षण विभाग ने भावी जल संकट से उबरने के लिए पानी का अपव्यय रोकने की सलाह दी है।
मालूम हो कि शहर एवं जिले की आधी आबादी की पानी की जरूरत चार दशकों से भूमिगत जल से ही पूरी हो रही है। इस दरमियान पानी की जरूरत भी बढ़ी है। बावजूद बारिश के पानी को सहेजने और भूजल पुनर्भरण के लिए सरकार या समाज की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
उलटा खेती की बोरवेल के पानी पर निर्भरता बढ़ती चली गई। अप्रैल माह के बीते दो साल की तुलना में जल स्तर को लेकर सबसे खराब स्थिति है।
रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम आवश्यक : जलविद् और पर्यावरण के विशेषज्ञ डॉ.सुनील चतुर्वेदी का कहना है कि भूजल स्तर सुधारने के लिए धरती का कलश भरना होगा। इसके लिए रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नियम का अनिवार्य रूप से पालन करना एवं कराना होगा। अधिक से अधिक तालाबों का निर्माण करना होगा।
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शहर या जिले में कितने निजी बोरिंग है, इसका रिकार्ड नगरीय निकाय या जिला प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है।
नियमानुसार एक ट्यूबवेल से दूसरे के बीच की दूरी कम से कम 300 मीटर होना चाहिए मगर यहां साल 2010 के बाद बनी अधिकांश कालोनियों में हर दूसरे- तीसरे घर में बोरिंग है।
गंभीर और शिप्रा नदी का पानी प्रशासन ने घरेलू इस्तेमाल के लिए संरक्षित घोषित किया है। मतलब यह है कि नदी का पानी सिंचाई एवं औद्योगिक प्रयोजन में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
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