जीएसटी के नियमों में बदलाव:नए साल में क्लाउड किचन से खाना मंगाना 5% तक होगा महंगा, लेना पड़ेगा जीएसटी का पंजीयन
भोपाल:- घर में चल रहीं छोटी-छोटी रसाेइयों से खाना मंगवाना नए साल में महंगा हो सकता है। दरअसल, नए साल से जीएसटी विभाग खाना तैयार करने वाले रेस्टोरेंट और इन रसोइयों से टैक्स नहीं वसूलेगा, बल्कि यह देनदारी फूड डिलीवरी दे रहीं कंपनियों पर बनेगी। इसके बाद ये कंपनियां उन्हीं रसोइयों से खाना लेकर डिलीवरी कर सकती हैं, जिनके पास जीएसटी का पंजीयन हो। खाने का जो बिल बनेगा, उसमें रेस्टोरेंट व दूसरे फूड सप्लायर का जीएसटीएन नंबर होना जरूरी है। इसके बगैर बिल ही नहीं बनेगा।
भोपाल में करीब 800 से 1000 छोटी-मोटी रसाेइयां या क्लाउड किचन हैं। यह पूरी तरह से जोमेटो व स्विगी के नेटवर्क पर ही निर्भर हैं। ज्यादातर में खाना तैयार करने का काम महिलाएं कर रही हैं। इन सबके लाइसेंस लेने के बाद यहां से ऑर्डर करके खाना मंगवाना कम से कम 5% महंगा होगा। पहले से ही पंजीकृत बड़े रेस्टोरेंट व होटल्स के लिए भी नए नियम कागजी कामकाज बढ़ाने का काम करेंगे।
यह है स्थिति... अभी जोमेटो और स्विगी जैसी कंपनियां रेस्टाेरेंट और क्लाउड किचन से खाना सप्लाई करती हैं। वे केवल सप्लायर का काम करती हैं। टैक्स की देनदारी उन पर नहीं होती। रेस्टोरेंट बिल बनाने, टैक्स चुकाने का जिम्मा भी उनका है। क्लाउड किचन थोड़े-थोड़े टर्नओवर पर काम कर रहे हैं। उनके पास जीएसटी का पंजीयन तक नहीं होता।
कंपनियां बिल नहीं बना पाएंगी
नए साल से सरकार ने यह तय किया है कि अब टैक्स की वसूली रेस्टोरेंट नहीं, डिलीवरी करने वाली कंपनियां करेंगी। मायने साफ हैं कि शहर के सारे क्लाउड किचन को जीएसटी का पंजीयन लेना होगा, क्योंकि खाना तैयार करने वालों का जीएसटीएन नंबर डाले बिना डिलीवरी कंपनियां बिल नहीं बना पाएंगी। -मुकुल शर्मा, जीएसटी विशेषज्ञ, भोपाल
क्वालिटी की जिम्मेदारी तय हो
कोविड के बाद लंबे समय तक रेस्टोरेंट बंद थे। इस कारण कई लोग घर से खाना तैयार करने लगे। इन ई-कॉमर्स कंपनियों ने इसे अपने चैनल से डिलीवरी करना शुरू कर दिया, पर इनकी गुणवत्ता पर किसी का ध्यान नहीं जाता। पंजीयन के साथ यह भी सुनिश्चित हो कि इन क्लाउड किचन का खाना मानकों के अनुरूप हो। -तेजकुलपाल सिंह पाली, अध्यक्ष, भोपाल होटल एंड रेस्टोरेंट संचालक एसोसिएशन
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