डॉ. मिश्रा चिकित्सा जगत के आदर्श और प्रेरक व्यक्तित्व थे : मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि डॉ. मिश्रा ने जूनियर डॉक्टर्स को सदैव बारीकियां सिखाते समझाते हुए चिकित्सा जगत में सेवा का संदेश दिया। उनके बिना यह क्षेत्र अधूरा रहेगा। वे अध्ययन शील थे। पुस्तकें पढ़ना, उन्हें आत्मसात करना फिर जूनियर डॉक्टर्स को बताना, उनकी विशेषता थी। विदेशों में भी उनके शिष्य हैं। डॉ. मिश्रा ने विपरीत परिस्थितियों में भी उपचार कार्य के दायित्व को बखूबी निभाया । जब अस्पतालों में एक हजार रोगियों के लिए भी जगह न थी तब उन्होंने बिना घबराए दस- दस हजार रोगियों का बेहतर उपचार किया। चाहे गैस कांड के बाद की परिस्थितियां हों या कोरोना काल, हमेशा उन्होंने चिकित्सा जगत का मार्गदर्शन किया। वे अनेक चिकित्सक तैयार कर गए हैं, जो विभिन्न रोगों के उपचार का कार्य कुशलतापूर्वक कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि गत डेढ़ वर्ष से कोरोना से जुड़े विभिन्न पक्षों पर उनकी डॉ. मिश्रा से चर्चा होती थी। उनके महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त होते थे। डॉ. मिश्रा मेडिकल कॉलेज में विभागाध्यक्ष, डीन आदि रहते हुए सदैव अपने कर्म में तल्लीन रहते थे। सेवानिवृत्त्त होने के बाद भी वे रोगियों के उपचार का काम बहुत गंभीरता से करते थे। वे रोगियों के परिजन को समझाने की दक्षता भी रखते थे। नए चिकित्सकों को प्रोत्साहित करते थे। वे अद्भुत थे, उन्होंने उम्र के आखिरी पड़ाव तक रोगियों के उपचार का कार्य किया। अंतिम दिवस भी आए हुए रोगियों को देखा।वे आत्मविश्वास से भरपूर थे। उनकी आंखों में एक आत्मविश्वास दिखाई देता था। कभी-कभी व्यंग्य विनोद भी करते थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्रद्धांजलि सभा में डॉ.मिश्रा के बेटों मनोज, सुनील और विशाल से भी भेंट की और उनके पिता के साथ जुड़ी स्मृतियों का उल्लेख किया। श्रद्धांजलि सभा में चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग, शहर के अनेक चिकित्सक और नागरिक उपस्थित थे। गत 5 सितम्बर को डॉ एन.पी. मिश्रा का निधन हुआ था।
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